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वाम, वाम कत्लेआम

रतन टाटा ने कहा है कि अगले साल जनवरी के मोटर शो में वे अपनी लखटकिया कार को सबके सामने प्रस्तुत कर देंगे. काम चल रहा है और कार फैक्टरी उसी सिंगूर में बन रही है जहां तापसी मलिक के साथ बलात्कार हुआ और उसकी इतनी निर्मम हत्या हुई थी कि पढ़कर रोंया-रोंया कलप उठता है. सिंगूर और नंदीग्राम पर प्रसिद्ध शिक्षाविद सुनंद सान्याल का एक लेख-
18 दिसंबर 2006 को मुंह अंधेरे तापसी मलिक रोज की भांति घर से निकली थी ताकि उजाला होने से पहले वह दिशा मैदान से निपट ले. तापसी निकली ही थी कि कुछ लोगों ने उसे घेर लिया. उसका हाथ-पैर-मुंह बांध दिया गया. वामपंथी गुंडों ने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया. फिर उसे एक जलती भट्टी में डाल दिया गया. तापसी मलिक का अंत हो गया लेकिन उसके इस दुखद अंत से बंगाल में वह गुस्सा नहीं फूटा जिसे माकपा गंभीरता से लेती. इसलिए नतीजा हुआ नंदीग्राम.
नंदीग्राम में राहत कार्य में लगी डॉ शर्मिष्ठा राय कहती हैं कि नंदीग्राम में हिंसा के दौरान औरतों की योनि को खासकर निशाना बनाया गया है. औरतों की योनि में गोली मारी गयी और कई मौकों पर उनकी योनि में माकपा काडर ने लोहे की छड़ घुसा दी. इस बात की शिकायत राज्यपाल को मेधा पाटेकर ने भी की थी. एक 35 वर्षीय महिला कविता दास को दो खंबों से बांधकर सामूहिक बलात्कार किया गया. उसके पति ने उसे बचाने की कोशिश की तो माकपा काडर ने उसके बच्चे को रौंदकर मार देने की धमकी दी. अपने बच्चे की खातिर उस व्यक्ति को अपनी पत्नी का बलात्कार सहना पड़ा. 20 मार्च को एक 20 वर्षीय माकपा कार्यकर्ता को सोनचुरा में गिरफ्तार किया गया. उसने स्वीकार किया कि 14 मार्च 2007 को हुए नंदीग्राम गोलीकांड के दौरान उसने एक 13 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था.14 मार्च की गोलीबारी एक पुल के पास हुई थी. सीबीआई को शिकायत की गयी थी कि इस पुल के पास शंकर सामंत के घर में 14 औरतों को उठाकर ले जाया गया था. सीबीआई ने अपनी जांच में उस खाली पड़े घर से औरतों के आंतरिक कपड़ों के टुकड़े मिले जिसमें खून के धब्बे लगे हुए थे. गांव के लोगों ने बताया कि उन्होंने उस दिन कई घंटे इस घर में चीख-पुकार सुनी थी. लेकिन घर के चारों ओर माकपा काडरों का मुस्तैद काडर मौजूद था. इसलिए वे लोग वहां नहीं जा सके.
मैं खुद गणमुक्ति परिषद के सदस्यों के साथ तामलुक अस्पताल गया था. वहां एक किसान की पत्नी से मिला. मुझे देखकर वह 25-26 साल की लड़की फूट-फूट कर रोने लगी. शायद एक बुजुर्ग को अपने सामने देख उसके सब्र का बांध टूट गया था. उसने बताया कि उसके साथ पुलिस की मौजूदगी में बलात्कार किया गया. माकपा काडर ने उसके ब्लाउज फाड़ डाले और उसके निप्पल काट लिये. उसके साथ एक दूसरी औरत जो अस्पताल में इलाज करा रही थी उसका एक गाल माकपा काडर ने काट खाया था. बाद में डोला सेन ने राज्यपाल को जो शिकायत की थी उसमें उन्होंने कहा था कि माकपाई गुण्डों द्वारा इस तरह क्षत-विक्षत की गयी औरतों की संख्या सैकड़ों में है.दूसरी बार नंदीग्राम में जब झड़प हुई तो माकपा कैडर ने एक बच्चे को गोली मार दी. एक महिला उसको बचाने के लिए दौड़ी तो उसको लाठियों से पीटा गया. महिला भाग गयी. इसके बाद माकपा कॉडर ने यह मानकर कि बच्चा उनकी गोली से मर चुका है उन्होंने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. ऐसा उन्होंने लाश को हटाने के लिए किया या फिर अपनी मौज के लिए, पता नहीं. ऐसी कुछ लाशों को उन्होंने वहां दफना दिया और कंक्रीट के स्लैब से ढंक दिया. अन्य लाशों के पेट फाड़ डाले गये ताकि उन्हें पानी में फेंकने पर वे पानी पर तैरने न लगें. काटे गये सिरों को बोरियों में भरा और ले जाकर नहर में फेंक दिया.
यह कहना कि सरकार को कुछ पता नहीं था, ठीक नहीं है. नंदीग्राम का पूरा आपरेशन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और निरूपम सेन की दिमाग की उपज थी. और लक्ष्मण सेन, विनय कोनार, विमान बोस जैसे मंत्रियों और नेताओं ने पार्टी मशीनरी के स्तर पर उन्हें मदद भी मुहैया कराई थी. मुख्यमंत्री भले ही झूठ बोले कि उन्हें इसका तनिक अंदेशा नहीं था लेकिन गृहसचिव प्रसार रंजन रे ने कहा है कि "हमने खुफिया रपटों के आधार पर ही पुलिस बल तैनात किये थे. बेशक मुख्यमंत्री को इसकी पूरी जानकारी थी." वैसे भी मुख्यमंत्री के खिलाफ यह आरोप लगता रहा है कि वे "आदतन पक्के झूठे" हैं. आरएसपी की एक नेता क्षिति गोस्वामी ने सार्वजनिक तौर कहा था कि बुद्धदेव के दो चेहरे हैं, उसमें एक मुखौटा है.
लेकिन बुद्धदेव की सरकार रहते नंदीग्राम का पूरा सच कभी सामने नहीं आ पायेगा. तभी विमान बोस को लगता है कि लोग नंदीग्राम की बातों को जल्दी भूल जाएंगे. लेकिन नंदीग्राम में हत्या, बलात्कार, आगजनी का जो सिलसिला अभी भी छुटपुट चल रहा है उसे वहां के बच्चे भी देख रहे हैं. क्या समय के साथ उनकी स्मृति से भी यह बात मिट जाएगी कि बंगाल का समाज लुटेरों, पेशेवर हत्यारों और बलात्कारियों से भरा पड़ा है.
सच तो यह है कि माकपा की अगुवाई में चल रही राज्य सरकार पिछले तीस सालों से सड़ रहे नासूर का मवाद है. यह जिस तरह की राजनीति करती है वह एक स्थाई बुराई है. यह पूरे समाज को दो हिस्सों में बांटकर देखती है. "हम" और "वे" की इस राजनीति में समाज का एक हिस्सा कोलकाता के आलीमुद्दीन स्ट्रीट स्थित माकपा मुख्यालय के आदेशों का पालन करनेवाले हैं. शेष अन्य "वे" हैं यानि पराये.
चित्र-1, तापसी मलिक का जला हुआ
शवचित्र-2, नंदीग्राम की बर्बर हिंसा
नंदीग्राम के बारे में अद्यतन जानकारी के लिए नंदीग्राम लाल सलाम के ब्लाग पर आयें.

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